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मलाकी: परमेश्वर की ईर्ष्या और आशा

मलाकी पुराने नियम का अंतिम ग्रंथ है। यह इस्राएलियों के आध्यात्मिक पतन और परमेश्वर की निराशा का चित्रण करता है। मलाकी 1:2 में परमेश्वर कहता है, “मैंने तुम से प्रेम किया है, परन्तु तुम पूछते हो, तू ने किस बात में हम से प्रेम किया है?” इस प्रश्न के माध्यम से परमेश्वर इस्राएलियों की कृतघ्नता को उजागर करता है।

मलाकी ने पुजारी वर्ग की आलोचना भी की, जो भेंटों में गंभीरता नहीं दिखा रहे थे। मलाकी 1:7 में लिखा है, “तुम मुझे अपवित्र भोजन चढ़ाते हो; तौभी तुम कहते हो, हमने तुझे किस से अपवित्र किया है? इसलिये कि तू यह कहता है, यहोवा की मेज़ तुच्छ है।”

हालाँकि, मलाकी की पुस्तक में आशा का संदेश भी है। मलाकी 3:1 में एक दूत का वादा किया गया है जो परमेश्वर के मार्ग को तैयार करेगा, जो बाद में यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के रूप में पहचाना जाता है। यह आशा का संदेश है कि परमेश्वर अपने लोगों को भूल नहीं गया है और उनके उद्धार की योजना है।

मलाकी की पुस्तक हमें परमेश्वर की पवित्रता और ईर्ष्या के बारे में सिखाती है। यह हमें यह भी याद दिलाती है कि परमेश्वर का वचन पूरा होगा और एक दिन वह अपने लोगों को पुनर्स्थापित करेगा।

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