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15  (1)तीमुथियुस की पत्री

(1) तीमुथियुस की पत्री (First Epistle to Timothy) नए नियम की पंद्रहवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने तीमुथियुस को लिखा था। यह पत्री चर्च के प्रशासन, नेतृत्व, और सही धार्मिक शिक्षाओं पर मार्गदर्शन प्रदान करती है।

मुख्य विषय:

  1. चर्च का प्रशासन:
    • चर्च के नेतृत्व और प्रशासन के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश और प्रशासनिक भूमिकाएँ।
  2. सच्ची शिक्षा और झूठी शिक्षाएँ:
    • सही धार्मिक शिक्षाओं की पुष्टि, झूठी शिक्षाओं और गलत प्रथाओं का विरोध।
  3. नैतिकता और व्यवहार:
    • ईसाई जीवन के नैतिक पहलू, योग्य नेतृत्व, और व्यक्तिगत आचरण के नियम।

प्रमुख खंड:

  1. चर्च के प्रशासन के निर्देश (अध्याय 1-3):
    • चर्च के नेतृत्व के लिए आवश्यक निर्देश, आध्यात्मिक योग्यताएँ, और प्रशासनिक भूमिकाएँ।
    • आध्यात्मिक नेताओं के लिए योग्यताओं और गुणों का विवरण।
  2. सच्ची शिक्षा और झूठी शिक्षाएँ (अध्याय 4-6):
    • सही धार्मिक शिक्षाएँ, झूठी शिक्षाओं का विरोध, और धार्मिक नैतिकता पर मार्गदर्शन।
    • व्यक्तिगत आचरण, धार्मिक जीवन के सिद्धांत, और समाज में उचित व्यवहार के नियम।

संरचना:

  1. अध्याय 1-3:
    • चर्च के प्रशासन के निर्देश, नेतृत्व की योग्यताएँ, और आध्यात्मिक दिशानिर्देश।
  2. अध्याय 4-6:
    • सही धार्मिक शिक्षाएँ, झूठी शिक्षाओं का विरोध, और नैतिकता और व्यक्तिगत आचरण के नियम।

विशेषताएँ:

  1. चर्च का प्रशासन:
    • नेतृत्व और प्रशासन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश और योग्यताओं का वर्णन।
  2. सच्ची शिक्षा और झूठी शिक्षाएँ:
    • सही धार्मिक शिक्षाओं की पुष्टि और झूठी शिक्षाओं और प्रथाओं का विरोध।
  3. नैतिकता और व्यवहार:
    • व्यक्तिगत आचरण और ईसाई जीवन के नैतिक पहलुओं पर मार्गदर्शन।

इस पत्री में पौलुस ने तीमुथियुस को चर्च के प्रशासन, नेतृत्व, और सही धार्मिक शिक्षाओं के बारे में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्रदान किए हैं, साथ ही झूठी शिक्षाओं और गलत प्रथाओं का विरोध करने के लिए भी मार्गदर्शन किया है।

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