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18  फिलेमोन की पत्री

फिलेमोन की पत्री (Epistle to Philemon) नए नियम की अठारहवीं पुस्तक है, जिसमें पौलुस ने फिलेमोन को व्यक्तिगत रूप से एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर मार्गदर्शन और अनुरोध किया है। यह पत्री व्यक्तिगत संबंधों, क्षमा, और ईसाई भाईचारे के सिद्धांतों को उजागर करती है।

मुख्य विषय:

  1. क्षमा और पुनर्स्थापन:
    • ओनेसिमुस, जो फिलेमोन का दास था और पौलुस के पास आया था, को क्षमा और पुनः स्वीकार करने के लिए फिलेमोन का अनुरोध।
  2. ईसाई भाईचारा:
    • दास और स्वामी के बीच स्नेहपूर्ण और भाईचारे के संबंध की पुष्टि।
  3. पौलुस की भूमिका:
    • पौलुस का ओनेसिमुस के लिए पक्ष लेना और फिलेमोन से समर्थन और कृपा की अपील।

प्रमुख खंड:

  1. फिलेमोन को क्षमा का अनुरोध (अध्याय 1-7):
    • ओनेसिमुस को वापस स्वीकार करने और क्षमा करने के लिए फिलेमोन से अनुरोध।
    • फिलेमोन के सकारात्मक व्यवहार की सराहना और उसकी धार्मिकता की पुष्टि।
  2. पौलुस का पक्ष और अपील (अध्याय 8-20):
    • पौलुस का ओनेसिमुस के प्रति व्यक्तिगत संबंध और फिलेमोन से समर्थन और कृपा की अपील।
    • ओनेसिमुस की भूमिका और उसका महत्व।
  3. अंतिम बातें और आशीर्वाद (अध्याय 21-25):
    • पत्र का निष्कर्ष और ईसाई जीवन में भाईचारे और आशीर्वाद की प्रेरणा।
    • पौलुस का पत्र समाप्त करना और अंतिम आशीर्वाद देना।

संरचना:

  1. अध्याय 1-7:
    • ओनेसिमुस के पुनर्वास और क्षमा के लिए अनुरोध, और फिलेमोन के अच्छे व्यवहार की सराहना।
  2. अध्याय 8-20:
    • पौलुस का व्यक्तिगत पक्ष और फिलेमोन से समर्थन की अपील।
  3. अध्याय 21-25:
    • पत्र का निष्कर्ष और आशीर्वाद।

विशेषताएँ:

  1. क्षमा और पुनर्स्थापन:
    • दास और स्वामी के बीच क्षमा और भाईचारे के संबंध को स्पष्ट करना।
  2. ईसाई भाईचारा:
    • व्यक्तिगत रिश्तों में भाईचारे और स्नेह की पुष्टि।
  3. पौलुस की भूमिका:
    • व्यक्तिगत अपील और समर्थन की भूमिका का वर्णन।

फिलेमोन की पत्री एक उदाहरण प्रस्तुत करती है कि कैसे ईसाई जीवन में क्षमा, भाईचारा, और स्नेहपूर्ण संबंधों को महत्व दिया जाता है और व्यक्तिगत संबंधों में सच्ची शिक्षा और ईमानदारी को कैसे लागू किया जा सकता है।

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