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Author name: tech

Exodus

Exodus Chapter 38

1 And he made the altar of burnt offering of shittim wood: five cubits was the length thereof, and five

Exodus

Exodus Chapter 36

1 Then wrought Bezaleel and Aholiab, and every wise hearted man, in whom the LORD put wisdom and understanding to

Exodus

Exodus Chapter 35

1 And Moses gathered all the congregation of the children of Israel together, and said unto them, These are the

Exodus

Exodus Chapter 33

1 And the LORD said unto Moses, Depart, and go up hence, thou and the people which thou hast brought

Exodus

Exodus Chapter 32

1 And when the people saw that Moses delayed to come down out of the mount, the people gathered themselves

Exodus

Exodus Chapter 28

1 And take thou unto thee Aaron thy brother, and his sons with him, from among the children of Israel,

Exodus

Exodus Chapter 27

1 And thou shalt make an altar of shittim wood, five cubits long, and five cubits broad; the altar shall

Exodus

Exodus Chapter 26

1 Moreover thou shalt make the tabernacle with ten curtains of fine twined linen, and blue, and purple, and scarlet*:

Exodus

Exodus Chapter 25

1 And the LORD spake unto Moses, saying, 2 Speak unto the children of Israel, that they bring me an

Exodus

Exodus Chapter 24

1 And he said unto Moses, Come up unto the LORD, thou, and Aaron, Nadab, and Abihu, and seventy of

Exodus

Exodus Chapter 23

1 Thou shalt not raise a false report: put not thine hand with the wicked to be an unrighteous witness.

Exodus

Exodus Chapter 21

1 Now these are the judgments which thou shalt set before them. 2 If thou buy an Hebrew servant, six

Exodus

Exodus Chapter 18

1 When Jethro, the priest of Midian, Moses’ father in law, heard of all that God had done for Moses,

Exodus

Exodus Chapter 17

1 And all the congregation of the children of Israel journeyed from the wilderness of Sin, after their journeys, according

Exodus

Exodus Chapter 16

1 And they took their journey from Elim, and all the congregation of the children of Israel came unto the

Exodus

Exodus Chapter 15

1 Then sang Moses and the children of Israel this song unto the LORD, and spake, saying, I will sing

Exodus

Exodus Chapter 14

1 And the LORD spake unto Moses, saying, 2 Speak unto the children of Israel, that they turn and encamp

Exodus

Exodus Chapter 13

1 And the LORD spake unto Moses, saying, 2 Sanctify unto me all the firstborn, whatsoever openeth the womb among

Exodus

Exodus Chapter 11

1 And the LORD said unto Moses, Yet will I bring one plague more upon Pharaoh, and upon Egypt; afterwards

Exodus

Exodus Chapter 05

1 And afterward Moses and Aaron went in, and told Pharaoh, Thus saith the LORD God of Israel, Let my

Exodus

Exodus Chapter 04

1 And Moses answered and said, But, behold, they will not believe me, nor hearken unto my voice: for they

Exodus

Exodus Chapter 01

1 Now these are the names of the children of Israel, which came into Egypt; every man and his household

Genesis

Genesis Chapter 49

1 And Jacob called unto his sons, and said, Gather yourselves together, that I may tell you that which shall

Genesis

Genesis Chapter 47

1 Then Joseph came and told Pharaoh, and said, My father and my brethren, and their flocks, and their herds,

Genesis

Genesis Chapter 46

1 And Israel took his journey with all that he had, and came to Beersheba, and offered sacrifices unto the

Genesis

Genesis Chapter 39

1 And Joseph was brought down to Egypt; and Potiphar, an officer of Pharaoh, captain of the guard, an Egyptian*,

Genesis

Genesis Chapter 31

1 And he heard the words of Laban’s sons, saying, Jacob hath taken away all that was our father’s; and

Genesis

Genesis Chapter 30

1 And when Rachel saw that she bare Jacob no children, Rachel envied her sister; and said unto Jacob, Give

Genesis

Genesis Chapter 20

1 And Abraham journeyed from thence toward the south country, and dwelled between Kadesh and Shur, and sojourned in Gerar.

Genesis

Genesis Chapter 16

1 Now Sarai Abram’s wife bare him no children: and she had an handmaid, an Egyptian, whose name was Hagar.

Genesis

Genesis Chapter 09

1 And God blessed Noah and his sons, and said unto them, Be fruitful, and multiply, and replenish the earth.

Verse Of The Day

📖 Isaiah 40:31

“But those who hope in the Lord will renew their strength. They will soar on wings like eagles; they will run and not grow weary, they will walk and not be faint.”

नया नियम

27  प्रकाशितवाक्य

प्रकाशितवाक्य (Revelation) नए नियम की 27वीं पुस्तक है, जिसे यूहन्ना ने लिखा है। यह पुस्तक मुख्यतः भविष्यवाणियों, दैवीय न्याय, और अंत समय की घटनाओं पर केंद्रित है।

नया नियम

26  यहूदा की पत्री

यहूदा की पत्री (Jude) नए नियम की छब्बीसवीं पुस्तक है। यह पत्री मुख्यतः झूठी शिक्षाओं और भ्रामक सिद्धांतों से बचाव, और सही ईसाई आचरण को बनाए रखने पर केंद्रित है।

नया नियम

25  (3)यूहन्ना की पत्री

यूहन्ना की पत्री (3 John) नए नियम की पच्चीसवीं पुस्तक है और गयुस नामक एक व्यक्तिगत व्यक्ति को लिखी गई है। यह पत्री मुख्यतः सच्चे शिक्षकों का समर्थन करने और झूठे शिक्षकों की आलोचना करने पर केंद्रित है।

नया नियम

24  (2)यूहन्ना की पत्री

यूहन्ना की पत्री (2 John) नए नियम की चौबीसवीं पुस्तक है, जो विशेष रूप से एक महिला और उसके परिवार को लिखी गई है। यह पत्री झूठे शिक्षकों और उनके प्रभावों से सतर्क रहने और सच्चे ईसाई विश्वास की पुष्टि करने पर ध्यान केंद्रित करती है।

नया नियम

23  (1)यूहन्ना की पत्री

यूहन्ना की पत्री (1 John) नए नियम की तेईसवीं पुस्तक है, जो सत्य, प्रेम, और ईश्वर के साथ संबंध के विषयों पर ध्यान केंद्रित करती है। लेखक यूहन्ना, जो यीशु के शिष्य और अंतिम सुसमाचार लेखक हैं, ने यह पत्री उन ईसाइयों को लिखा जो विश्वास में संदेह और झगड़ों का सामना कर रहे थे।

नया नियम

22  (2)पतरस की पत्री

पतरस की पत्री (Second Peter) नए नियम की बाईसवीं पुस्तक है, जो झूठी शिक्षाओं और भ्रामक सिद्धांतों के खिलाफ मार्गदर्शन प्रदान करती है और ईसाई विश्वास और नैतिकता की रक्षा के लिए प्रेरित करती है। लेखक पतरस हैं, जो यीशु के प्रमुख शिष्य और चर्च के प्रमुख नेताओं में से एक थे।

नया नियम

21  (1)पतरस की पत्री

पतरस की पत्री (First Peter) नए नियम की इक्कीसवीं पुस्तक है, जिसमें मुख्य रूप से उत्पीड़न और कठिनाइयों का सामना कर रहे ईसाइयों के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान की गई है। लेखक पतरस हैं, जो यीशु के प्रमुख शिष्य और चर्च के प्रमुख नेताओं में से एक थे।

नया नियम

20  याकूब की पत्री

याकूब की पत्री (Epistle of James) नए नियम की बीसवीं पुस्तक है, जिसमें ईसाई जीवन के नैतिक और व्यावहारिक पहलुओं पर जोर दिया गया है। लेखक याकूब हैं, जो यीशु के भाई और चर्च के प्रमुख नेताओं में से एक थे।

नया नियम

19  इब्रानियों की पत्री

इब्रानियों की पत्री (Epistle to the Hebrews) नए नियम की उन्नीसवीं पुस्तक है, जिसमें यीशु मसीह की श्रेष्ठता और नए नियम की व्यवस्था की पुष्टि की गई है। लेखक का नाम स्पष्ट नहीं है, लेकिन परंपरागत रूप से पौलुस को लेखक माना जाता है, जबकि कुछ विद्वानों का मानना है कि यह पत्र किसी अन्य लेखक का हो सकता है।

नया नियम

18  फिलेमोन की पत्री

फिलेमोन की पत्री (Epistle to Philemon) नए नियम की अठारहवीं पुस्तक है, जिसमें पौलुस ने फिलेमोन को व्यक्तिगत रूप से एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर मार्गदर्शन और अनुरोध किया है। यह पत्री व्यक्तिगत संबंधों, क्षमा, और ईसाई भाईचारे के सिद्धांतों को उजागर करती है।

नया नियम

17  तीतुस की पत्री

तीतुस की पत्री (Epistle to Titus) नए नियम की सत्रहवीं पुस्तक है, जिसमें पौलुस ने तीतुस को चर्च के नेतृत्व और प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान किया है। यह पत्री चर्च की सही शिक्षाओं, नेतृत्व के सिद्धांतों, और व्यक्तिगत नैतिकता पर केंद्रित है।

नया नियम

16  (2)तीमुथियुस की पत्री

(2) तीमुथियुस की पत्री (Second Epistle to Timothy) नए नियम की सोलहवीं पुस्तक है, जिसमें पौलुस ने तीमुथियुस को अंतिम सलाह और मार्गदर्शन प्रदान किया है। यह पत्री विशेष रूप से ईसाई सेवकाई, नेतृत्व, और झूठी शिक्षाओं के खिलाफ संघर्ष पर केंद्रित है।

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15  (1)तीमुथियुस की पत्री

(1) तीमुथियुस की पत्री (First Epistle to Timothy) नए नियम की पंद्रहवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने तीमुथियुस को लिखा था। यह पत्री चर्च के प्रशासन, नेतृत्व, और सही धार्मिक शिक्षाओं पर मार्गदर्शन प्रदान करती है।

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14  (2)थिस्सलनीकियों की पत्री

(2) थिस्सलनीकियों की पत्री (Second Epistle to the Thessalonians) नए नियम की चौदहवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने थिस्सलनीका के चर्च को लिखा था। इस पत्री का मुख्य उद्देश्य मसीह के पुनरागमन के विषय में स्पष्टता प्रदान करना, गलत शिक्षाओं और शैतानी प्रभावों से बचाना, और ईसाई जीवन के आचरण के बारे में मार्गदर्शन देना था।

नया नियम

13  (1)थिस्सलनीकियों की पत्री

(1) थिस्सलनीकियों की पत्री (First Epistle to the Thessalonians) नए नियम की तेरहवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने थिस्सलनीका के चर्च को लिखा था। इस पत्री का मुख्य उद्देश्य चर्च की प्रगति को प्रोत्साहित करना, मसीह के पुनरागमन के बारे में स्पष्टता प्रदान करना, और धार्मिक जीवन के सिद्धांतों को स्पष्ट करना था।

नया नियम

12  कुलुस्सियों की पत्री

कुलुस्सियों की पत्री (Epistle to the Colossians) नए नियम की बारहवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने कुलुस्सा के चर्च को लिखा था। इस पत्री का मुख्य उद्देश्य मसीह की पूर्णता और दिव्यता की पुष्टि करना, गलत शिक्षाओं से बचाना, और ईसाई जीवन के नैतिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर मार्गदर्शन प्रदान करना था।

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11  फिलिप्पियों की पत्री

फिलिप्पियों की पत्री (Epistle to the Philippians) नए नियम की ग्यारहवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने फिलिप्पी के चर्च के लिए लिखा था। इस पत्री का मुख्य उद्देश्य चर्च को प्रोत्साहित करना, उनके विश्वास की पुष्टि करना, और उनके जीवन में आनंद, संतोष, और धार्मिकता को प्रोत्साहित करना था।

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10  इफिसियों की पत्री

इफिसियों की पत्री (Epistle to the Ephesians) नए नियम की दसवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने इफिसुस के चर्च के सदस्यों के लिए लिखा था। इस पत्री का मुख्य उद्देश्य ईसाईयों को आध्यात्मिक समृद्धि, एकता, और आत्मिक युद्ध की वास्तविकता को समझाने के साथ-साथ उनके जीवन में इन सिद्धांतों को लागू करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना था।

नया नियम

9  गलातियों की पत्री

गलातियों की पत्री (Epistle to the Galatians) नए नियम की नौवीं पुस्तक है। यह पत्री पौलुस द्वारा गलातिया के चर्चों को संबोधित करते हुए लिखी गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य चर्च को गलत शिक्षाओं से बचाना और विश्वास के माध्यम से उद्धार की सच्चाई को स्पष्ट करना था।

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8  (2)कुरिन्थियों की पत्री

(2) कुरिन्थियों की पत्री (Second Epistle to the Corinthians) नए नियम की आठवीं पुस्तक है। यह पत्री पौलुस द्वारा कुरिन्थ के चर्च को उनके समर्थन और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए लिखी गई थी। इसमें पौलुस अपने प्रेरिताई अधिकार की पुष्टि करते हुए, चर्च के अंदरूनी संघर्षों और व्यक्तिगत आध्यात्मिक मुद्दों का समाधान करते हैं।

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7  (1)कुरिन्थियों की पत्री

(1) कुरिन्थियों की पत्री (First Epistle to the Corinthians) नए नियम की सातवीं पुस्तक है। यह पत्री पौलुस द्वारा कुरिन्थ के चर्च को लिखी गई थी और इसका उद्देश्य चर्च के आंतरिक विवादों, नैतिक समस्याओं, और व्यावहारिक जीवन के मुद्दों पर मार्गदर्शन प्रदान करना था।

नया नियम

6 रोमियों की पत्री

रोमियों की पत्री (Epistle to the Romans) नए नियम की छठी पुस्तक है, जिसे पौलुस ने लिखा है। यह पत्री रोम के चर्च के सदस्यों के लिए लिखा गया था और इसका उद्देश्य उन्हें ईसाई विश्वास की गहरी समझ और व्यावहारिक दिशा प्रदान करना था। पौलुस ने इस पत्री में उद्धार, विश्वास, और ईसाई जीवन के सिद्धांतों की व्याख्या की है।

नया नियम

5 प्रेरितों के काम

प्रेरितों के काम (Acts of the Apostles) नए नियम की पाँचवीं पुस्तक है, जिसे पारंपरिक रूप से लूका ने लिखा है। लूका ने पहले भी “लूका का सुसमाचार” लिखा था, और इस पुस्तक में उन्होंने प्रारंभिक चर्च के विकास और ईसाई धर्म के फैलाव की घटनाओं को दर्ज किया है।

नया नियम

4 यूहन्ना का सुसमाचार

यूहन्ना का सुसमाचार, नए नियम की चौथी पुस्तक, यीशु मसीह की दिव्यता और उनके अनन्त जीवन के संदेश पर विशेष जोर देता है। यह पारंपरिक रूप से यूहन्ना द्वारा लिखा गया माना जाता है, जो यीशु के बारह शिष्यों में से एक थे और “प्रेमी शिष्य” के रूप में जाने जाते हैं।

नया नियम

3 लूका का सुसमाचार

लूका का सुसमाचार, नए नियम की तीसरी पुस्तक, यीशु मसीह के जीवन, शिक्षाओं, और सेवकाई की एक विस्तृत और व्यवस्थित प्रस्तुति है। इसे पारंपरिक रूप से लूका द्वारा लिखा गया माना जाता है, जो एक चिकित्सक और पौलुस के सहयोगी थे।

नया नियम

2 मरकुस का सुसमाचार

मरकुस का सुसमाचार, जो पवित्र बाइबिल के नए नियम की दूसरी पुस्तक है, यीशु मसीह के जीवन और उनकी सेवकाई को संक्षेप में प्रस्तुत करता है। इसका उद्देश्य यीशु को ईश्वर के पुत्र और सच्चे मसीहा के रूप में दिखाना है, और यह मुख्यतः गैर-यहूदी पाठकों, विशेष रूप से रोमनों, को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है।

नया नियम

1 मत्ती का सुसमाचार

मत्ती का सुसमाचार, जिसे मसीहियों के नए नियम में शामिल किया गया है, ईसाई धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य यीशु को मसीहा और राजा के रूप में प्रस्तुत करना है, और यह दर्शाना है कि कैसे उनके जीवन और कार्य पुराने नियम की भविष्यवाणियों की पूर्ति करते हैं।

पुराना नियम

मलाकी: परमेश्वर की ईर्ष्या और आशा

मलाकी पुराने नियम का अंतिम ग्रंथ है। यह इस्राएलियों के आध्यात्मिक पतन और परमेश्वर की निराशा का चित्रण करता है। मलाकी 1:2 में परमेश्वर कहता है, “मैंने तुम से प्रेम किया है, परन्तु तुम पूछते हो, तू ने किस बात में हम से प्रेम किया है?” इस प्रश्न के माध्यम से परमेश्वर इस्राएलियों की कृतघ्नता को उजागर करता है।

पुराना नियम

जकर्याह: पुनर्निर्माण और भविष्य की आशा

जकर्याह पुराने नियम का एक महत्वपूर्ण भविष्यवाणी ग्रंथ है। यह पुस्तक मंदिर के पुनर्निर्माण के समय लिखी गई थी और इसमें इस्राएल के भविष्य के बारे में कई महत्वपूर्ण दृष्टि दी गई हैं।

पुराना नियम

हाग्गै: मंदिर के पुनर्निर्माण का आह्वान

हाग्गै पुराने नियम का एक छोटा भविष्यवाणी ग्रंथ है जो यहूदा के लोगों को मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए प्रोत्साहित करता है। उस समय, यहूदी लोग बाबुल के निर्वासन से लौटे थे, लेकिन मंदिर का पुनर्निर्माण अधूरा था। लोग अपने घरों के निर्माण में व्यस्त थे, जबकि परमेश्वर का भवन उजाड़ पड़ा था।

पुराना नियम

सपन्याह: विनाश और आशा का संदेश

सपन्याह पुराने नियम का एक छोटा पर प्रभावशाली भविष्यवाणी ग्रंथ है। यह मुख्य रूप से यहूदा और आसपास के राष्ट्रों पर आने वाले विनाश की भविष्यवाणी पर केंद्रित है।

पुराना नियम

हबक्कूक: विश्वास का संघर्ष

हबक्कूक पुराने नियम का एक छोटा लेकिन गहरा भविष्यवाणी ग्रंथ है। यह पुस्तक भविष्यवक्ता हबक्कूक की परमेश्वर के साथ संवाद को दर्शाती है। हबक्कूक अपने समय में बढ़ते हुए अन्याय और दुष्टता को देखकर परेशान था और परमेश्वर से पूछता है कि वह इन बुराइयों को क्यों सहन करते हैं।

पुराना नियम

नहूम: नीनवे के विनाश की भविष्यवाणी

नाहूम पुराने नियम का एक छोटा पर प्रभावशाली भविष्यवाणी ग्रंथ है। यह मुख्य रूप से नीनवे शहर के विनाश पर केंद्रित है। नीनवे उस समय एक शक्तिशाली साम्राज्य था, लेकिन अत्याचार और हिंसा में डूबा हुआ था। नाहूम ने इसकी भविष्यवाणी की, जो बाद में पूरी हुई।

पुराना नियम

मीका: एक कठोर लेकिन आशावादी संदेश

मीका पुराने नियम का एक छोटा लेकिन प्रभावशाली भविष्यवाणी ग्रंथ है। यह पुस्तक सामाजिक अन्याय, धार्मिक ढोंग और राजनीतिक भ्रष्टाचार की कड़ी निंदा करती है।

पुराना नियम

ओबद्याह: एदोम की निंदा

ओबद्याह पुराने नियम की सबसे छोटी पुस्तक है। इसमें केवल एक अध्याय शामिल है, जिसमें एदोम देश की निंदा की गई है। एदोम इस्राएल का भाई देश था, परंतु उसने इस्राएल की विपत्ति का लाभ उठाया था। ओबद्याह ने एदोम के घमंड और क्रूरता की कड़ी निंदा की है। साथ ही, उसने इस्राएल के भविष्य में पुनरुद्धार की आशा भी व्यक्त की है।

पुराना नियम

आमोस: सामाजिक न्याय का नबी

आमोस बाइबल का सातवाँ ग्रंथ है और एक सामाजिक न्याय के प्रवक्ता के रूप में जाना जाता है। वह एक साधारण चरवाहा था जिसे परमेश्वर ने इस्राएल और आसपास के राष्ट्रों के पापों की निंदा करने के लिए बुलाया था।
आमोस की पुस्तक को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:
भाग 1: राष्ट्रों की निंदा (अध्याय 1-2)
इस भाग में आमोस ने आसपास के राष्ट्रों जैसे मोआब, अम्मोन, एदोम, दमिश्क, घाज़ा, तीर और सदोम की निंदा की है।
इन राष्ट्रों के पापों के कारण आने वाले विनाश की भविष्यवाणी की गई है।
भाग 2: इस्राएल की निंदा और आशा (अध्याय 3-9)
इस भाग में आमोस ने इस्राएल के लोगों की आध्यात्मिक पतन और सामाजिक अन्याय की कड़ी निंदा की है।
उसने इस्राएल के लोगों को पश्चाताप करने और परमेश्वर की ओर लौटने का आह्वान किया है।
साथ ही, उसने भविष्य में परमेश्वर के पुनरुद्धार की आशा भी व्यक्त की है।
आमोस की पुस्तक सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता, और परमेश्वर के साथ सही संबंध के महत्व पर जोर देती है। यह पुस्तक आज भी प्रासंगिक है और हमें सामाजिक अन्याय के खिलाफ खड़े होने और परमेश्वर की न्यायप्रियता के लिए काम करने की प्रेरणा देती है।

पुराना नियम

योएल: विपत्ति और पुनरुद्धार

योएल बाइबल का तेइसवाँ ग्रंथ है और एक छोटी लेकिन प्रभावशाली पुस्तक है। यह पुस्तक भविष्यवक्ता योएल द्वारा लिखी गई थी और इसमें प्राकृतिक आपदा और परमेश्वर के पुनरुद्धार के विषय पर केंद्रित है।

पुराना नियम

होशे: प्रेम और विश्वासघात की कहानी

होशे बाइबल का बारहवां ग्रंथ है और एक प्रेम और विश्वासघात की मार्मिक कहानी है। यह पुस्तक भविष्यवक्ता होशे के जीवन और परमेश्वर के इस्राएल के लोगों के प्रति प्रेम के अनोखे चित्रण को प्रस्तुत करती है।

पुराना नियम

दानिय्येल: विश्वास और भविष्यवाणी

दानिय्येल बाइबल का चौबीसवाँ ग्रंथ है और इसे एक महत्वपूर्ण भविष्यवक्ता और बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। वह बाबुल के निर्वासन के समय इस्राएलियों के बीच रहता था। दानिय्येल की पुस्तक में कई अद्भुत घटनाएँ और भविष्यवाणियां शामिल हैं।

पुराना नियम

यहेजकेल: दर्शन और भविष्यवाणी

यहेजकेल बाइबल का तेइसवाँ ग्रंथ है और एक महत्वपूर्ण भविष्यवक्ता है। वह बाबुल के निर्वासन के समय इस्राएलियों के बीच रहता था। यहेजकेल की पुस्तक में कई अद्भुत दर्शन और भविष्यवाणियां शामिल हैं।

पुराना नियम

विलापगीत: दुःख और आशा का गीत

विलापगीत बाइबल का तेइसवाँ ग्रंथ है और इसे यिर्मयाह के ही द्वारा लिखा गया माना जाता है। यह पुस्तक यरूशलेम के नाश के बाद के दुःख, विलाप और उदासी की गहरी भावनाओं को व्यक्त करती है।

पुराना नियम

यिर्मयाह: विलाप और आशा का संदेश

यिर्मयाह बाइबल का तेइसवाँ ग्रंथ है और इसे एक विलापकारी भविष्यवक्ता के रूप में जाना जाता है। इस पुस्तक में यिर्मयाह ने अपने समय के यहूदा के लोगों की आध्यात्मिक पतन और आने वाले विनाश की भविष्यवाणी की है।

पुराना नियम

यशायाह: भविष्यवाणी का ग्रंथ

यशायाह बाइबिल का बीसवाँ ग्रंथ है और इसे भविष्यवक्ताओं की पुस्तक में सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। यह पुस्तक यशायाह नामक भविष्यवक्ता द्वारा लिखी गई थी और इसमें इस्राएल और यहूदा के लोगों के लिए परमेश्वर का संदेश है।

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श्रेष्ठगीत: प्रेम का गीत

श्रेष्ठगीत बाइबल का एक छोटा लेकिन अत्यंत सुंदर और रहस्यमय ग्रंथ है। इसे प्रेम का गीत भी कहा जाता है। इस पुस्तक में एक पुरुष और एक स्त्री के बीच गहरे प्रेम का वर्णन किया गया है।

पुराना नियम

सभोपदेशक: जीवन का व्यर्थपन और अर्थ की खोज

सभोपदेशक, बाइबल का बीसवाँ ग्रंथ है, जिसमें जीवन की व्यर्थता और अर्थ की खोज पर गहराई से विचार किया गया है। यह पुस्तक जीवन के विभिन्न पहलुओं की जाँच करती है और पाठक को जीवन के वास्तविक अर्थ की खोज करने के लिए आमंत्रित करती है।

पुराना नियम

नीतिवचन: बुद्धि और ज्ञान की पुस्तक

नीतिवचन, बाइबिल का उन्नीसवाँ ग्रंथ है, जिसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में व्यावहारिक बुद्धि और ज्ञान दिए गए हैं। यह पुस्तक सुलैमान की बुद्धि का एक संग्रह है और जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है।

पुराना नियम

भजन संहिता: प्रार्थना और स्तुति का ग्रंथ

भजन संहिता, बाइबिल का अठारहवाँ ग्रंथ है, जिसे ज़बूर भी कहा जाता है। यह पुस्तक इब्रानी कविता और गीतों का एक संग्रह है, जिसमें परमेश्वर की स्तुति, धन्यवाद, प्रार्थना, और जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में विचार व्यक्त किए गए हैं।

पुराना नियम

अय्यूब: धैर्य और विश्वास की परीक्षा

अय्यूब, बाइबिल का सत्रहवाँ ग्रंथ है, जिसमें एक धर्मी व्यक्ति अय्यूब की कठिन परीक्षा की कहानी को बताया गया है। यह पुस्तक मानव दुख, परमेश्वर की प्रभुता, और धैर्य के विषय पर गहराई से विचार करती है।

पुराना नियम

एस्तेर: मुक्ति की कहानी

एस्तेर, बाइबिल का सोलहवाँ ग्रंथ है, जिसमें यहूदी लड़की एस्तेर की कहानी है जो फारस की रानी बन जाती है और अपने लोगों को विनाश से बचाती है। यह पुस्तक परमेश्वर की गुप्त योजना और मानव इतिहास में उनके हस्तक्षेप को दर्शाती है।

पुराना नियम

नहेम्याह: यरूशलेम की पुनर्स्थापना

नहेम्याह, बाइबिल का पंद्रहवाँ ग्रंथ है, जो यहूदी नेता नहेम्याह के नेतृत्व में यरूशलेम की दीवारों के पुनर्निर्माण की कहानी को बताता है। यह पुस्तक इस्राएल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पुनर्निर्माण काल को दर्शाती है।

पुराना नियम

एज्रा: वापसी और पुनर्निर्माण

एज्रा, बाइबुल का चौदहवाँ ग्रंथ है, जो यहूदी लोगों की बाबुल से वापसी और यरूशलेम में मंदिर के पुनर्निर्माण की कहानी को बताता है। यह पुस्तक इस्राएल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पुनर्निर्माण काल को दर्शाती है।

पुराना नियम

2 इतिहास: यहूदा के राजाओं का इतिहास

2 इतिहास, बाइबिल का तेरहवाँ ग्रंथ है, जो यहूदा राज्य के इतिहास को सुलैमान के बेटे रेहाबाम से लेकर बाबुल के निर्वासन तक का वर्णन करता है। यह पुस्तक 1 राजाओं और 2 राजाओं की सामग्री को पुनर्व्यवस्थित और विस्तारित करती है, साथ ही अतिरिक्त विवरण और सामग्री भी शामिल करती है।

पुराना नियम

1 इतिहास: दाऊद और सुलैमान का इतिहास

1 इतिहास, बाइबिल का बारहवां ग्रंथ है, जो दाऊद और सुलैमान के जीवन और शासनकाल पर अधिक विस्तार से ध्यान केंद्रित करता है। यह पुस्तक 2 शमूएल और 1 राजाओं की सामग्री को पुनर्व्यवस्थित और विस्तारित करती है, साथ ही अतिरिक्त विवरण और सामग्री भी शामिल करती है।

पुराना नियम

2 राजाओं: पतन और निर्वासन

2 राजाओं, बाइबिल का ग्यारहवाँ ग्रंथ है, जो इस्राएल और यहूदा राज्यों के पतन और निर्वासन तक की कहानी को बताता है। यह पुस्तक इस्राएल और यहूदा के राजाओं के अच्छे और बुरे कामों, उनके परमेश्वर से दूर होने और इसके परिणामस्वरूप होने वाली विपत्तियों का वर्णन करती है।

पुराना नियम

1 राजाओं: सुलैमान का शासन और राज्य का विभाजन

1 राजाओं, बाइबिल का दसवां ग्रंथ है, जो दाऊद के पुत्र सुलैमान के शासनकाल की शुरुआत और इस्राएल राज्य के दो भागों में विभाजन तक की कहानी को बताता है।

पुराना नियम

1 शमूएल: राजा की आवश्यकता

1 शमूएल, बाइबिल का आठवां ग्रंथ है, जो इस्राएल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ का वर्णन करता है। यह पुस्तक न्यायियों के काल के अंत से लेकर शाऊल के राज्याभिषेक तक की अवधि को कवर करती है।

पुराना नियम

रूत: वफादारी और दया की कहानी

रूत, बाइबिल का छोटा पर प्रभावशाली ग्रंथ है, जो मोआबी विधवा रूत की कहानी को बताता है, जो अपने सास नाओमी के साथ इस्राएल लौटती है और अंततः दाऊद के वंशावली में शामिल हो जाती है।

पुराना नियम

न्यायियों: संकट और उद्धार का काल

न्यायियों, बाइबिल का सातवां ग्रंथ है, जो इस्राएलियों के कनान देश में बसने के बाद के काल का वर्णन करता है। इस अवधि में इस्राएली लोग बार-बार परमेश्वर से दूर हटते हैं और उसके परिणामस्वरूप विदेशी शक्तियों के अधीन हो जाते हैं। परमेश्वर की दया से, वह समय-समय पर न्यायियों को उठाता है जो उन्हें मुक्ति दिलाते हैं।

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व्यवस्थाविवरण: पुनरावृत्ति और आज्ञापालन

व्यवस्थाविवरण, बाइबिल का पांचवां ग्रंथ है, जिसमें मूसा द्वारा इस्राएलियों को वादा किए हुए देश में प्रवेश करने से पहले उनके जीवन के नियमों और परमेश्वर के साथ उनके संबंधों की पुनरावृत्ति की जाती है।

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लैव्यव्यस्था: पवित्रता और आराधना की पुस्तक

लैव्यव्यस्था, बाइबिल का तीसरा ग्रंथ है, जो इस्राएलियों के लिए पवित्रता, आराधना और परमेश्वर के साथ सही संबंध स्थापित करने के नियमों और विधानों को प्रस्तुत करता है।

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निर्गमन: मुक्ति और करार की पुस्तक

निर्गमन, बाइबिल का दूसरा ग्रंथ है, जो इस्राएलियों की मिस्र से मुक्ति और सिनाई पर्वत पर परमेश्वर के साथ उनके करार की कहानी को विस्तार से बताता है।

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उत्पत्ति: की संरचना और विषय-वस्तु

उत्पत्ति: सृष्टि, प्रारंभिक मानव इतिहास, वादों का समय, और नैतिक शिक्षाओं की पुस्तक, जो ईसाई धर्म के मूल विश्वासों और परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं को दर्शाती है।

Christianity

List Of Top 20 Famous Churches In The World 

Churches have long been more than just places of worship—they are architectural marvels, historical landmarks, and cultural treasures. Across the globe, many churches have gained fame for their grandeur, historical significance, and spiritual importance. Here’s a list of the top 20 most famous churches in the world, each offering a unique glimpse into the history and diversity of Christianity.

Christianity

World’s Largest & Widespread Religion

Christianity stands as the world’s largest and most widespread religion, with over 2.3 billion followers across the globe. From its humble beginnings in the Middle East, Christianity has grown to become a faith that spans continents, cultures, and generations. This blog explores the reasons behind its global reach, the diversity within the Christian community, and the impact Christianity has had on the world.

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