27 प्रकाशितवाक्य
प्रकाशितवाक्य (Revelation) नए नियम की 27वीं पुस्तक है, जिसे यूहन्ना ने लिखा है। यह पुस्तक मुख्यतः भविष्यवाणियों, दैवीय न्याय, और अंत समय की घटनाओं पर केंद्रित है।
प्रकाशितवाक्य (Revelation) नए नियम की 27वीं पुस्तक है, जिसे यूहन्ना ने लिखा है। यह पुस्तक मुख्यतः भविष्यवाणियों, दैवीय न्याय, और अंत समय की घटनाओं पर केंद्रित है।
यहूदा की पत्री (Jude) नए नियम की छब्बीसवीं पुस्तक है। यह पत्री मुख्यतः झूठी शिक्षाओं और भ्रामक सिद्धांतों से बचाव, और सही ईसाई आचरण को बनाए रखने पर केंद्रित है।
यूहन्ना की पत्री (3 John) नए नियम की पच्चीसवीं पुस्तक है और गयुस नामक एक व्यक्तिगत व्यक्ति को लिखी गई है। यह पत्री मुख्यतः सच्चे शिक्षकों का समर्थन करने और झूठे शिक्षकों की आलोचना करने पर केंद्रित है।
यूहन्ना की पत्री (2 John) नए नियम की चौबीसवीं पुस्तक है, जो विशेष रूप से एक महिला और उसके परिवार को लिखी गई है। यह पत्री झूठे शिक्षकों और उनके प्रभावों से सतर्क रहने और सच्चे ईसाई विश्वास की पुष्टि करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
यूहन्ना की पत्री (1 John) नए नियम की तेईसवीं पुस्तक है, जो सत्य, प्रेम, और ईश्वर के साथ संबंध के विषयों पर ध्यान केंद्रित करती है। लेखक यूहन्ना, जो यीशु के शिष्य और अंतिम सुसमाचार लेखक हैं, ने यह पत्री उन ईसाइयों को लिखा जो विश्वास में संदेह और झगड़ों का सामना कर रहे थे।
पतरस की पत्री (Second Peter) नए नियम की बाईसवीं पुस्तक है, जो झूठी शिक्षाओं और भ्रामक सिद्धांतों के खिलाफ मार्गदर्शन प्रदान करती है और ईसाई विश्वास और नैतिकता की रक्षा के लिए प्रेरित करती है। लेखक पतरस हैं, जो यीशु के प्रमुख शिष्य और चर्च के प्रमुख नेताओं में से एक थे।
पतरस की पत्री (First Peter) नए नियम की इक्कीसवीं पुस्तक है, जिसमें मुख्य रूप से उत्पीड़न और कठिनाइयों का सामना कर रहे ईसाइयों के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान की गई है। लेखक पतरस हैं, जो यीशु के प्रमुख शिष्य और चर्च के प्रमुख नेताओं में से एक थे।
याकूब की पत्री (Epistle of James) नए नियम की बीसवीं पुस्तक है, जिसमें ईसाई जीवन के नैतिक और व्यावहारिक पहलुओं पर जोर दिया गया है। लेखक याकूब हैं, जो यीशु के भाई और चर्च के प्रमुख नेताओं में से एक थे।
इब्रानियों की पत्री (Epistle to the Hebrews) नए नियम की उन्नीसवीं पुस्तक है, जिसमें यीशु मसीह की श्रेष्ठता और नए नियम की व्यवस्था की पुष्टि की गई है। लेखक का नाम स्पष्ट नहीं है, लेकिन परंपरागत रूप से पौलुस को लेखक माना जाता है, जबकि कुछ विद्वानों का मानना है कि यह पत्र किसी अन्य लेखक का हो सकता है।
फिलेमोन की पत्री (Epistle to Philemon) नए नियम की अठारहवीं पुस्तक है, जिसमें पौलुस ने फिलेमोन को व्यक्तिगत रूप से एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर मार्गदर्शन और अनुरोध किया है। यह पत्री व्यक्तिगत संबंधों, क्षमा, और ईसाई भाईचारे के सिद्धांतों को उजागर करती है।
तीतुस की पत्री (Epistle to Titus) नए नियम की सत्रहवीं पुस्तक है, जिसमें पौलुस ने तीतुस को चर्च के नेतृत्व और प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान किया है। यह पत्री चर्च की सही शिक्षाओं, नेतृत्व के सिद्धांतों, और व्यक्तिगत नैतिकता पर केंद्रित है।
(2) तीमुथियुस की पत्री (Second Epistle to Timothy) नए नियम की सोलहवीं पुस्तक है, जिसमें पौलुस ने तीमुथियुस को अंतिम सलाह और मार्गदर्शन प्रदान किया है। यह पत्री विशेष रूप से ईसाई सेवकाई, नेतृत्व, और झूठी शिक्षाओं के खिलाफ संघर्ष पर केंद्रित है।
(1) तीमुथियुस की पत्री (First Epistle to Timothy) नए नियम की पंद्रहवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने तीमुथियुस को लिखा था। यह पत्री चर्च के प्रशासन, नेतृत्व, और सही धार्मिक शिक्षाओं पर मार्गदर्शन प्रदान करती है।
(2) थिस्सलनीकियों की पत्री (Second Epistle to the Thessalonians) नए नियम की चौदहवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने थिस्सलनीका के चर्च को लिखा था। इस पत्री का मुख्य उद्देश्य मसीह के पुनरागमन के विषय में स्पष्टता प्रदान करना, गलत शिक्षाओं और शैतानी प्रभावों से बचाना, और ईसाई जीवन के आचरण के बारे में मार्गदर्शन देना था।
(1) थिस्सलनीकियों की पत्री (First Epistle to the Thessalonians) नए नियम की तेरहवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने थिस्सलनीका के चर्च को लिखा था। इस पत्री का मुख्य उद्देश्य चर्च की प्रगति को प्रोत्साहित करना, मसीह के पुनरागमन के बारे में स्पष्टता प्रदान करना, और धार्मिक जीवन के सिद्धांतों को स्पष्ट करना था।
कुलुस्सियों की पत्री (Epistle to the Colossians) नए नियम की बारहवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने कुलुस्सा के चर्च को लिखा था। इस पत्री का मुख्य उद्देश्य मसीह की पूर्णता और दिव्यता की पुष्टि करना, गलत शिक्षाओं से बचाना, और ईसाई जीवन के नैतिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर मार्गदर्शन प्रदान करना था।
फिलिप्पियों की पत्री (Epistle to the Philippians) नए नियम की ग्यारहवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने फिलिप्पी के चर्च के लिए लिखा था। इस पत्री का मुख्य उद्देश्य चर्च को प्रोत्साहित करना, उनके विश्वास की पुष्टि करना, और उनके जीवन में आनंद, संतोष, और धार्मिकता को प्रोत्साहित करना था।
इफिसियों की पत्री (Epistle to the Ephesians) नए नियम की दसवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने इफिसुस के चर्च के सदस्यों के लिए लिखा था। इस पत्री का मुख्य उद्देश्य ईसाईयों को आध्यात्मिक समृद्धि, एकता, और आत्मिक युद्ध की वास्तविकता को समझाने के साथ-साथ उनके जीवन में इन सिद्धांतों को लागू करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना था।
गलातियों की पत्री (Epistle to the Galatians) नए नियम की नौवीं पुस्तक है। यह पत्री पौलुस द्वारा गलातिया के चर्चों को संबोधित करते हुए लिखी गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य चर्च को गलत शिक्षाओं से बचाना और विश्वास के माध्यम से उद्धार की सच्चाई को स्पष्ट करना था।
(2) कुरिन्थियों की पत्री (Second Epistle to the Corinthians) नए नियम की आठवीं पुस्तक है। यह पत्री पौलुस द्वारा कुरिन्थ के चर्च को उनके समर्थन और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए लिखी गई थी। इसमें पौलुस अपने प्रेरिताई अधिकार की पुष्टि करते हुए, चर्च के अंदरूनी संघर्षों और व्यक्तिगत आध्यात्मिक मुद्दों का समाधान करते हैं।
(1) कुरिन्थियों की पत्री (First Epistle to the Corinthians) नए नियम की सातवीं पुस्तक है। यह पत्री पौलुस द्वारा कुरिन्थ के चर्च को लिखी गई थी और इसका उद्देश्य चर्च के आंतरिक विवादों, नैतिक समस्याओं, और व्यावहारिक जीवन के मुद्दों पर मार्गदर्शन प्रदान करना था।
रोमियों की पत्री (Epistle to the Romans) नए नियम की छठी पुस्तक है, जिसे पौलुस ने लिखा है। यह पत्री रोम के चर्च के सदस्यों के लिए लिखा गया था और इसका उद्देश्य उन्हें ईसाई विश्वास की गहरी समझ और व्यावहारिक दिशा प्रदान करना था। पौलुस ने इस पत्री में उद्धार, विश्वास, और ईसाई जीवन के सिद्धांतों की व्याख्या की है।
प्रेरितों के काम (Acts of the Apostles) नए नियम की पाँचवीं पुस्तक है, जिसे पारंपरिक रूप से लूका ने लिखा है। लूका ने पहले भी “लूका का सुसमाचार” लिखा था, और इस पुस्तक में उन्होंने प्रारंभिक चर्च के विकास और ईसाई धर्म के फैलाव की घटनाओं को दर्ज किया है।
यूहन्ना का सुसमाचार, नए नियम की चौथी पुस्तक, यीशु मसीह की दिव्यता और उनके अनन्त जीवन के संदेश पर विशेष जोर देता है। यह पारंपरिक रूप से यूहन्ना द्वारा लिखा गया माना जाता है, जो यीशु के बारह शिष्यों में से एक थे और “प्रेमी शिष्य” के रूप में जाने जाते हैं।
लूका का सुसमाचार, नए नियम की तीसरी पुस्तक, यीशु मसीह के जीवन, शिक्षाओं, और सेवकाई की एक विस्तृत और व्यवस्थित प्रस्तुति है। इसे पारंपरिक रूप से लूका द्वारा लिखा गया माना जाता है, जो एक चिकित्सक और पौलुस के सहयोगी थे।
मरकुस का सुसमाचार, जो पवित्र बाइबिल के नए नियम की दूसरी पुस्तक है, यीशु मसीह के जीवन और उनकी सेवकाई को संक्षेप में प्रस्तुत करता है। इसका उद्देश्य यीशु को ईश्वर के पुत्र और सच्चे मसीहा के रूप में दिखाना है, और यह मुख्यतः गैर-यहूदी पाठकों, विशेष रूप से रोमनों, को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है।
मत्ती का सुसमाचार, जिसे मसीहियों के नए नियम में शामिल किया गया है, ईसाई धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य यीशु को मसीहा और राजा के रूप में प्रस्तुत करना है, और यह दर्शाना है कि कैसे उनके जीवन और कार्य पुराने नियम की भविष्यवाणियों की पूर्ति करते हैं।